कानपुर, [विक्सन सिक्रोडिय़ा]। बाबा ने खरीदा और पौत्र भी उसका उपयोग करे...। ऐसी कहावत तो आप सभी ने सुनी होगी, इसे उत्तर प्रदेश वस्त्र एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (यूपीटीटीआइ) के छात्र और प्रोफेसरों ने अपने शोध और रिसर्च से हकीकत में बदल दिया है। जी हां, बाजार में बहुत जल्द अब ऐसा वाटर नैनो फिल्टर आने वाला है, जिसे कभी बदलना ही नहीं पड़ेगा। इससे लोग घरों में प्रयोग होने वाले प्यूरीफायर और आरओ में फिल्टर बदलने के झंझट से मुक्त हो जाएंगे। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि पानी में मौजूद कैल्शियम व मैग्नीशियम के सूक्ष्म कणों से फिल्टर चोक नहीं होगा और हमेशा काम आएगा।
सिंगल यूज प्लास्टिक को री-साइकिल करके बनाया फिल्टर
प्रदूषण की गुनहगार प्लास्टिक अब अभिशाप नहीं वरदान बनेगी। सिंगल यूज प्लास्टिक को री-साइकल करके ये फिल्टर यूपीटीटीआइ के टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी पीएचडी छात्र शानू प्रभाकर ने प्रो.जेपी सिंह के निर्देशन में ऐसा नैनो फिल्टर बनाया है, जो बैक्टीरिया व हैवी मेटल दूर करके पानी को शुद्ध करेगा। पानी की बोतल से नैनो फिल्टर बनाने के लिए साल भर तक यूपीटीटीआइ की प्रयोगशाला में शोध हुआ। फिल्टर बनाने के लिए बोतल की रीसाइकिलिंग करके प्लास्टिक फाइबर फैब्रिक तैयार किया। इस प्रक्रिया में अलग अलग केमिकल का इस्तेमाल किया गया।
कभी चोक नहीं होगा नैनो फिल्टर
प्रो.सिंह ने बताया कि प्लास्टिक से तैयार इस फैब्रिक पर सिल्वर नैनो पार्टिकल व कार्बन नैनो ट्यूब के मैटीरियल की कोटिंग की गई। इस तकनीक की मुख्य बात यह है कि इन दोनों मैटीरियल की कोटिंग से फिल्टर का स्ट्रक्चर बदल जाता है और ये चोक नहीं होता। इलेक्ट्रो स्पिनिंग मशीन के जरिए बनाई गई यह नैनो फिल्टर को अब व्यावसायिक करने की तैयारी है। यूपीटीटीआइ की प्रयोगशाला में परीक्षण के बाद अब इस उपकरण को आम लोगों तक पहुंचाने की तैयारी है। कॉमर्शियल करने के परीक्षण के तहत इसे यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी जलगांव भेजा गया है।
अतिसूक्ष्म कणों को छानने की क्षमता
नैनो फाइबर बेस्ड एयर फिल्ट्रेशन टेक्नोलाजी से बना यह प्यूरीफायर उन अतिसूक्ष्म कणों को भी साफ कर सकता है जो आमतौर पर सामान्य पानी में रहते हैं। यह अतिसूक्ष्म कणों को छानने की क्षमता रखता है। भारी कण के अलावा पानी से कीटाणु, जीवाणु को खत्म करता है।