उज्जैन संभाग के आठवें जिले के रूप में नागदा जिला बनाने के प्रस्ताव को कमलनाथ सरकार की कैबिनेट ने सैद्धांतिक मंजूरी दे दी। यदि नागदा जिला बना तो उज्जैन जिले में सात तहसीलें रह जाएंगी और आबादी 19.86 लाख से घटकर 13.28 लाख हो जाएगी। नागदा जिले में उज्जैन जिले की चार तहसील नागदा, खाचरौद, महिदपुर, झारड़ा और रतलाम जिले की दो तहसील आलोट और ताल को शामिल करने का प्रस्ताव है। नए जिले की कुल आबादी 8 लाख 77 हजार 189 रहेगी।
हालांकि अभी नागदा जिला बनाने को लेकर लंबी प्रक्रिया है। फिलहाल तो प्रदेश सरकार ने सिर्फ प्रक्रिया शुरू करने की मंजूरी दी है। कैबिनेट की बैठक के बाद अब जिला प्रशासन आम लोगों से दावे-आपत्तियां आमंत्रित करेगा। इसके लिए एक माह का वक्त दिया जाएगा। एक महीने में आई शिकायतें और सुझावों का निराकरण कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में गठित कमेटी द्वारा किया जाएगा। फिर कैबिनेट की मंजूरी मिलेगी और राजपत्र में प्रकाशन के साथ नागदा को जिले का दर्जा मिल सकेगा।
प्रक्रिया रोकी भी जा सकती है
नागदा को जिला बनाने के निर्णय पर पूरी तरह अमल राजनीतिक परिस्थितियों पर भी निर्भर रहेगा। राजनीतिक समीकरण स्पष्ट होने के बाद ही नए जिले की तस्वीर साफ होगी। महिदपुर की आपत्ति के कारण भी पेंच फंस सकता है। महिदपुर के जनप्रतिनिधि और आम लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। वे नागदा जिले में शामिल होना नहीं चाहते। उनकी मांग है कि या तो महिदपुर को जिला बनाया जाए या फिर उन्हें उज्जैन जिले में ही रहने दें।
सबसे बड़ा पेंच...
कमलनाथ सरकार रही तो नागदा के जिला बनाने के वर्तमान प्रस्ताव पर मुहर लगने की संभावना ज्यादा, नहीं तो विरोध कर रहे महिदपुर के लोगों की वजह से बदलाव संभव, उनकी मांग है- महिदपुर को जिला बनाएं या उज्जैन जिले में ही रहने दें, राजनीतिक फायदे के लिए भाजपा भी इनके साथ है।